कुलभूषण की जान बचाने वाले हरीश साल्वे कौन हैं?
भारत के सबसे महंगे वकील हरीश साल्वे ने कुलभूषण जाधव का मुकदमा सिर्फ एक रुपए में लड़ा। बचपन में चाटर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते थे।सीए की परीक्षा भी दी और दो बार फेल हो गए।
भारत के सबसे महंगे वकील हरीश साल्वे ने कुलभूषण जाधव का मुकदमा सिर्फ एक रुपए में लड़ा। बचपन में चाटर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते थे।सीए की परीक्षा भी दी और दो बार फेल हो गए।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत जीता और पाकिस्तान हार गया। इस जीत के हीरो हैं वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे । विदेश मंत्री, वित्त मंत्री के साथ साथ देश के लोगों ने कुलबूषण की जान बचाने के लिए हरीश साल्वे को शुक्रिया कहा। इस धाकड़ वकील के बारे में वो चार बातें जानिए जिससे ज्यादातर लोग वाकिफ नहीं है।
कुलभूषण जाधव को फांसी के फंदे से बचाने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे एनकेपी साल्वे के बेटे हैं। वो 43 साल से भारत और विदेश की अदालतों में अपने जिरह का लोहा मनवा रहे हैं। कानून के जानकार की नज़र में हरीष साल्वे भारत के सबसे अच्छे वकील हैं इसलिए सबसे महंगे वकील भी वही हैं। अदालत और वकीलों की खबर देने वाली ‘लीगली इंडिया डॉट कॉम‘ की मानें तो हरीश साल्वे एक सुनवाई के लिए 15 लाख रुपये तक फीस लेते हैं. लेकिन कुलभूषण जाधव का मुकदमा उन्होंने सिर्फ एक रुपए में लड़ा।
हरीश साल्वे बचपन में चाटर्ड अकाउंटेंट यानि सीए बनना चाहते थे। सीए की परीक्षा भी दी और दो बार फेल हो गए। इसके बाद उन्हें उस वक्त के वरिष्ठ वकील पालखीवाला ने वकील बनने की सलाह दी और हरीश साल्वे ने क़ानून की पढ़ाई शुरु की।
हरीश साल्वे नागपुर में पढ़े लिखा। उनके दादा जबरदस्त क्रिमिनल लॉयर थे। उनके पापा एनकेपी साल्वे नेता, चाटर्ड अकाउंटेंट के साथ साथ भारत में क्रिकेट चलाने वाली बीसीसीआई के अधिकारी थे। हरीश की मां अम्ब्रिती डॉक्टर थीं। हरीश साल्वे के पिता की बदौलत ही पहली बार क्रिकेट का वर्ल्ड कप इंग्लैंड से बाहर खेला गया।
हरीश साल्वे ने पहला केस फिल्म दिलीप कुमार के लिए लड़ा था। दिलीप कुमार उनके पिता के मित्र थे। वो साल 1975 था। दिलीप कुमार पर ब्लैक मनी रखने का आरोप लगा था और इनकम टैक्स विभाग ने उन्हें नोटिस भेजा और उस वक्त हजारों रुपया हर्जाने में भरने को कहा। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट में दिलीप कुमार के वकील के तौर पर हरीश साल्वे पेश हुए। एक इंटरव्यू में हरीष साल्वे ने बताया, वो शुरुआत में बेहद शर्मीले थे। बहस करने में झिझक होती थी। पहले केस में सुप्रीम कोर्ट के जज ने सिर्फ 45 सेकंड में उनके पक्ष में फैसला सुना दिया वरना उन्हें बहस करनी पड़ती। उस दिन वो बेहद खुश थे कि उन्हें कोर्ट में जिरह नहीं करनी पड़ी। सोचिए आज देश के सबसे धाकड़ वकील को शुरु में अदालत में बोलने में भी डर लगता था।